रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ । कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए आ पहले से मरासिम न सही फिर भी कभी तो रस्म-ओ-रह-ए-दुनिया ही निभाने के लिए आ किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ https://shaayridilse.blogspot.com/ अकेले तो हम पहले भी जी रहे थे अकेले तो हम पहले भी जी रहे थे "फराज़" क्यों तन्हा हो गए तेरे जाने के बाद | यही सोच कर उस की हर बात को सच मानते रहे हम के इतने ख़ूबसूरत लव झूठ कैसे बोलेंगे ।